रविवार, 2 दिसंबर 2012

मोनू की शादी डिमांड


डेढ़ साल का हमारा मोनू एक दिन विचित्र फरमाइश कर बैठा. वैसे तो हर बात पर उसके पांच सवाल होते और हर सवाल का जवाब उसे चाहिए होता था. इस बार उसने कोई सवाल नहीं किया...बस एक छोटी सी माँग रख दी. बच्चे ने पहली बार कुछ माँगा उसे मिलना ही चाहिए...लेकिन अभी मांग सुनिए...उसने सिर्फ़ शादी कहा. मासूम था ....पूरा बोल नहीं सकता था. मामा ने समझा बच्चा कोई सजा हुआ घर देखना चाहता है... लेकिन अभी शाम के चार ही बजे थे और अँधेरा होने में कम से कम २ घंटे से अधिक का वक़्त था. फिर भी मामा उसे मोहल्ले में घुमाता रहा... उसे हर वह घर दिखता रहा...जिनमें छोटे छोटे झालर लगे हुए थे. दीवाली बीते अभी पांच ही दिन हुए होंगे. लेकिन मोनू हर बार घर की सजावट चुपचाप देख लेता और उंगली से आगे चलने का इशारा कर देता. मतलब साफ़ था... भांजे को वह नहीं मिल रहा जो उसे चाहिए. दो घंटे घूम घुमा कर मामा भांजे को लेकर एक चौराहे पर खड़ा हुआ. मोनू ने हरबार की तरह इस बार भी उंगली सामने तान दी... लेकिन मामा सोच रहा था...  इसकी फरमाइश पूरी करने के चक्कर में रात हो जाएगी. इसे सस्ते में निपटाना होगा. इसके लिए सोचना ज़रूरी था...और सोचने के लिए सिगरेट चाहिए थी. अब मामा की लाचारी यह कि इस नकलची बच्चे के सामने सिगरेट भी नहीं पी सकता... कहीं घर में इसने ऐसी नक़ल की तो सब यह सोचकर इसके पीछे ही पड़ जायेंगे कि बच्चे ने नया कुछ सीखा है...और उसी से पूछेंगे कि ...मोनू बताओ ... ऐसे कौन करता है? कोई पूछता ...मामा?...बच्चा तो शाणा था ही. उंगली उठाने में भी परहेज नहीं करता था... खैर...मामा सिगरेट कुछ इस तरह पी रहा है...
मोनू...सामने देखो- गाय .....और एक कश. मोनू ...वो देखो- डौगी... फिर एक कश. लेकिन बच्चा होनहार था... उसने ताड़ लिया कि मामा मुझे पोपट बना रहा है... अबकी बार मामा ने कहा... मोनू ...देखो -कैट. मोनू ने कैट तो देखा ही...मामा के मुह में एक सफ़ेद डंडी और उस से निकलता धुंआ भी देखा... उसने भी तुरंत नक़ल मारते हुए सुट्टा लगाया...मामा की हालत खराब! झट से सिगरेट फेंकी और बच्चे के दिमाग में अभी अभी गयी नयी सीख बाहर निकालने में जुट गया... चलो आज तुम्हे गाड़ी दिखाते हैं...  लेकिन बच्चे ने फिर वही पुराना राग अलापा... शादी. मामा ने अपने हर दोस्त से पूछा...बता कहीं कोई शादी है... सब पूछते -क्यों? मामा कहता ...भांजा आज शादी के मूड में है... मोहल्ले में हंगामा मच गया...लाडले भांजे का मामला जो था... आठ बज गए... हर कोई आता और मोनू को देख कर कहता...आज नहीं मानेगा....मोनू था कि हर अगले मिनट तकादा करता.... मम्मा ...छादी... आखिरकार रात को दस बजे दूसरे मोहल्ले से बैंड बाजे की आवाज़ आई... मोनू के कान खड़े हो गए...इधर उधर देखा और जैसे घोड़े को एड लगाते हैं....कुछ उसी अंदाज़ में शरीर को आगे धकेलते हुए आवाज़ की दिशा में ऊँगली तान दी. बरात और उसमें मस्ती में नाचते लोगों को देखकर मोनू खुश! जब बारात देख ली तब कहा- चलो...


 by Nagarjuna Singh on Wednesday, April 27, 2011 at 11:15pm


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें